स्कूली बच्चों की लापरवाही पर अंकुश कब? अभिभावकों और प्रशासन की अनदेखी से दुर्घटना की आशंका
अलवर। शहर में स्कूली और कोचिंग के छोटे बच्चे बेखौफ दुपहिया वाहन दौड़ाते नजर आते हैं, जिसमें नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बच्चे बिना हेलमेट के तेज रफ्तार में वाहन चलाते हैं, जिनमें से कई एक वाहन पर तीन से चार बच्चे सवार होते हैं। यह स्थिति ना सिर्फ सड़क पर हादसों की संभावना बढ़ा रही है, बल्कि ध्वनि प्रदूषण भी फैला रही है।
अभिभावकों की इस पर कोई चिंता नहीं है, बल्कि कई अभिभावक इसे गर्व का विषय मानते हैं कि उनके बच्चे वाहन चला रहे हैं। लेकिन दुर्घटना होने पर यही अभिभावक प्रशासन पर दोष मढ़ते हैं। यातायात पुलिस की कार्रवाई की भी स्थिति ढीली है, क्योंकि बच्चे बेधड़क उनके सामने से गुजरते हैं और पुलिस कार्रवाई करने का दावा करती रहती है।
स्कूल और कोचिंग संस्थानों के प्रबंधक भी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए सरकार और प्रशासन पर कार्रवाई का जिम्मा डाल रहे हैं। कुछ ने तो यह तक कह दिया कि दुपहिया वाहन चलाने की उम्र को 18 से घटाकर 14 साल कर देना चाहिए, जो हास्यास्पद है।
सरकार और प्रशासन की उदासीनता के चलते सड़कों पर यह लापरवाही जारी है, जिससे बच्चों की जान खतरे में है। अब सवाल उठता है कि आखिर इन मासूमों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?