राजस्थान का पहले एवं दुनियां के दूसरे लिविंग फोर्ट की आबादी ढहने की कगार पर
राजस्थान के जैसलमेर में स्थित 868 साल पुराना सोनार किला, जो दुनिया में फ्रांस के बाद एकमात्र "लिविंग फोर्ट" के रूप में जाना जाता है, अब अपने अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है। हाल ही में हुई भारी बारिश और भूकंप के कारण इस ऐतिहासिक किले की दीवारें और इमारतें कमजोर हो गई हैं। किले के अंदर करीब 4,000 लोग रहते हैं, जो इन हालातों से डरे हुए हैं।
खराब सीवरेज सिस्टम से बढ़ रही समस्या
किले की सबसे बड़ी समस्या उसका सीवरेज सिस्टम है। भारत स्थित फर्म एएनबी कंसल्टेंट्स के प्रधान संरक्षण वास्तुकार आशीष श्रीवास्तव के अनुसार, किले का सीवरेज सिस्टम सही से नहीं बना है, जिससे पानी सीधे इमारतों की नींव में रिसता है। इससे मकान और दीवारों में दरारें आ रही हैं। पिछले कुछ सालों में किले के भीतर 469 संरचनाओं में से 87 ढह गई हैं।
बारिश के लिए तैयार नहीं था किले का डिज़ाइन
सोनार किले का निर्माण 12वीं शताब्दी में एक सूखे क्षेत्र के हिसाब से किया गया था। उस समय थार के रेगिस्तान में प्रति वर्ष मात्र 6 से 9 इंच बारिश होती थी। अब, बढ़ती बारिश के कारण किले की दीवारें और इमारतें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश का पानी दीवारों में रिसकर सीलन पैदा कर रहा है, जिससे दीवारें कमजोर हो रही हैं। पिछले सालों में बारिश के कारण किले के कई हिस्से ढह चुके हैं।
भूकंप से हिल गई नींव
जैसलमेर किले को नुकसान पहुंचने की एक और बड़ी वजह भूकंप भी है। 26 जनवरी, 2001 को गुजरात के जामनगर के पास आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने किले की नींव को हिला दिया। इससे किले के अंदर की इमारतों को गंभीर नुकसान हुआ। इसके बाद आए हल्के भूकंप के झटकों ने जर्जर इमारतों को और कमजोर कर दिया है।
मरम्मत पर प्रतिबंध और बढ़ती समस्या
किले के वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित होने के कारण, यहां किसी भी इमारत की मरम्मत के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से अनुमति लेना अनिवार्य है। हालांकि, मरम्मत के काम में कई बार अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। कई निवासी मरम्मत के लिए परमिशन मांग रहे हैं, लेकिन अनुमति मिलने में दिक्कतें आ रही हैं। इस साल, मरम्मत करने वाले तीन परिवारों के खिलाफ एएसआई ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया।
भविष्य की चुनौतियां
जैसलमेर किले में स्थित जर्जर मकानों के गिरने का डर बढ़ गया है। किले की दीवारें कमजोर हो रही हैं और बारिश व भूकंप से लगातार क्षतिग्रस्त हो रही हैं। यदि जल्द ही आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो इस ऐतिहासिक किले का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।