डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने संवाद प्रवाह में भाग लिया 

डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने संवाद प्रवाह में भाग लिया 


सुजानगढ़ (नि.सं.)। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार डॉ घनश्याम नाथ कच्छावा ने 22 वें भारतीय रंग महोत्सव के अंतर्गत जवाहर कला केन्द्र के संवाद कार्यक्रम में भाग लिया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली के सहयोग से आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर आयोजित नाट्य महोत्सव में नाटक मंचन के बाद रंग निर्देशक व साहित्यकार से चर्चा करने का यह नवाचार जवाहर कला केन्द्र ने किया हैं। जवाहर कला केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत के अनुसार इस नवाचार से जहां नये नाट्य लेखन के लिए साहित्यकार तैयार होंगे वहीं नाट्य देखने  के प्रति नयी पीढ़ी का रूझान बढ़ेगा। डॉ घनश्याम नाथ कच्छावा से जनशत्रु नाटक पर प्रसिद्ध रंगकर्मी दौलत वैद्य ने चर्चा की।जेकेके जयपुर के कृष्णायन सभागार में  संवाद प्रवाह कार्यक्रम में रंगाश्रम समूह पश्चिम बंगाल द्वारा प्रस्तुत जनशत्रु नाटक को देखने के बाद महत्वपूर्ण चर्चा हुई। 
 जनशत्रु वर्ष 1882 में हेनरिक इबसेन द्वारा लिखित ऐन एनिमि ऑफ दि पीपल के बंगाली रूपांतरण है। महामारी के असाधारण समय के दौरान नाटक के पात्रों द्वारा एक कालातीत युग से शुरू किये गये एक नाटकीय प्रवचन के माध्यम से समाज और उसके अन्तर्निहित दोषों का प्रतिनिधित्व करता है। संवाद प्रवाह में डाॅ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने कहा कि नाट्यशास्त्र को पांचवां वेद कहा गया है। इसलिए यह साहित्य से अलग नहीं हैं। बंगाली नाटक देखते हुए भी पूरा नाटक समझ में आना इस बात का द्योतक है कि भाषा कहीं भी रूकावट पैदा नहीं करती। उन्होंने कहा कि समाज को संदेश देने वाले नाटकों का मंचन हर कस्बें में होना चाहिए। समाज जागे या नहीं जागे परन्तु कलाकार का काम है अंधेरे में दिया जलाना। संवाद प्रवाह में डाॅ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता नहीं मिलने पर राजस्थानी कला व संस्कृति को हो रहे सतत् नुकसान पर चिंता व्यक्त की। राजस्थानी नाटकों की लोकप्रियता और उनके विविध आयामों पर भी चर्चा हुई। संवाद प्रवाह में नाट्य निर्देशक संदीप भट्टाचार्य ने कहा कि रंगकर्मी व साहित्यकार के इस संवाद के सकारात्मक परिणाम सामने आयेगें। संवाद प्रवाह आयोजन में राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ भरत ओळा, प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट कमलकिशोर शर्मा, कवि कासिम बीकानेरी, लेखक इसरार हसन कादरी, चैलसी पाठक, बबीता जी सहित नाट्य से जुड़े विद्यार्थियों, नाट्य प्रेमी उपस्थित थे।