50 करोड़ की पेयजल योजना 5 साल बाद भी शुरू नहीं

50 करोड़ की पेयजल योजना 5 साल बाद भी शुरू नहीं

पानी की विकराल समस्या से जूझता कस्बा खैरथल सड़कों को भी निगल गया सिस्टम

खैरथल। नव जिला एवं व्यापारिक कस्बे खैरथल में एनसीआर परियोजना से 50 करोड़ रुपए की लागत से स्वीकृत हुई पेयजल आपूर्ति योजना के पांच साल बाद तक भी पूरा नहीं हो पाने से पेयजल के भीषण अभाव का सामना करना पड़ रहा है।
खैरथल और बगल के कस्बे किशनगढ़ बास के लिए एनसीआर की ओर से एक साथ 80 करोड़ रुपए की स्वीकृत की गई योजना का लाभ किशनगढ़ बास में पहले ही मिलने लग गया तो खैरथल में अभी तक नहीं हुआ। अब तक पूरे कस्बे में पाइप लाइन ही बिछाने का काम नहीं हो पाया है। उच्च जलाशयों का निर्माण भी बाकी है। इस वजह से गर्मी में भी इसका लाभ खैरथल की जनता को नहीं मिला। उधर, पाइप लाइन बिछाने के लिए पूरे शहर की सड़कों को तोड़ने के बाद भी अब तक सही नहीं करने से राहगीर और वाहन चालक परेशान है। वर्षा होने पर वाहन इन गड्ढों में गिर जाते हैं। संकरी गलियों में तो हालात बहुत ही गंभीर है। लोगों ने बताया कि पाइप डालने के लिए खुदाई के समय निकली मिट्टी, पत्थरों को संवेदक ने ट्रैक्टरों में भर कर बेच दिया। ऐसे में गड्ढों को भरने के लिए जनता को अपने पैसों से मलबा मंगा कर भरना पड़ रहा है। नगरपालिका सब कुछ जानते हुए भी आंखें मूंदे हुए हैं। बहुत ज्यादा दबाव पड़ने पर विधायक ने गत दिनों जलदाय विभाग के अफसरों को बुलाकर जल्द काम शुरू करने के निर्देश दिए लेकिन विधायक के निर्देश भी हवा हवाई हो गए। अक्टूबर 2020 में इस योजना को पूरा हो जाना चाहिए था।
   कार्य अवधि बढ़ा दी 
कोरोना काल के मद्देनजर पीएचडी की ओर से निर्माण संवेदक फर्म को 6 माह की कार्यावधि भी बढ़ा दी थी। बाद में कंपनी को डिबार कर दिया गया। कस्बे के 35 वार्डों को भौगोलिक दृष्टि से अनेक छोटे - छोटे भागों में बांट कर लगभग 15 घंटे की बारी - बारी से दो दिनों मे एक बार जलापूर्ति व्यवस्था के बावजूद बीच - बीच एक दिन का गैप देना पड़ जाता है। इसके अतिरिक्त बहुत सी नव विकसित कालोनियों में भूजल स्तर के रसातल में चले जाने से नलकूप सूखने के कारण कुछ कालोनियां पानी की भीषण समस्या से जूझ रही है। पुरानी आबादी सहित पुरानी अनाज मंडी क्षेत्र में भी एक दिन छोड़कर एक दिन आपूर्ति हो रही है तो वहां ऊंची नीची बसावट के कारण कम दबाव से पानी अभी तक नहीं पहुंचने की समस्या झेलनी पड़ रही है। नए बोरिंगो को पुरानी पाइप लाइन से नहीं जोड़ा जा रहा है। ऐसा कोई एक वार्ड नहीं बचा जहां के लोगों को पानी के टैंकर नहीं मंगवाने पड़ते हैं।