शेखावाटी का हरिद्वार है लोहार्गल धाम: पांडवों के अस्त्र यहां गल गए थे, सूर्य कुंड में स्नान से मिलती है पापों से मुक्ति, लाखों श्रद्धालु करते हैं परिक्रमा
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित लोहार्गल धाम पौराणिक आस्था, ऐतिहासिक मान्यताओं और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण एक दिव्य तीर्थस्थल है, जिसे शेखावाटी का हरिद्वार कहा जाता है। मान्यता है कि महाभारत के बाद पांडवों ने अपने पापों से मुक्ति के लिए यहां स्नान किया था, जहां उनके अस्त्र-शस्त्र जल में गल गए। तभी से इस स्थान का नाम 'लोहार्गल' पड़ा।
यहां का सूर्य कुंड विशेष महत्व रखता है, जहां स्नान कर सूर्यदेव की पूजा की जाती है। परिसर में सूर्य मंदिर, माल-केतु मंदिर, शिव मंदिर, बारह महादेव, शाकंभरी देवी, नाग कुंड, रघुनाथ कुंड और चेतनदास की बावड़ी जैसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं। भाद्रपद अमावस्या और सोमवती अमावस्या पर यहां लाखों श्रद्धालु स्नान और 24 कोस की परिक्रमा करते हैं, जो सात दिनों तक चलती है।
यहां प्रचलित कथा के अनुसार सूर्यभान राजा की कन्या का जन्म लोहार्गल कुंड में पवित्र जल से हुआ था, जिसके पीछे भी गहन धार्मिक भावना जुड़ी है। पर्वों पर यहां विशाल मेलों, भंडारों और शोभायात्राओं का आयोजन होता है। लोहार्गल को देवताओं की तपोभूमि भी माना जाता है।