‘सभी बरी तो 189 लोगों को किसने मारा?’: मुंबई ब्लास्ट पीड़ितों का छलका दर्द, बोले- फैसला हमारे जख्मों पर नमक

मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सभी 12 आरोपियों को बरी किए जाने के बाद पीड़ितों और उनके परिजनों में आक्रोश और गहरी निराशा है। 11 जुलाई 2006 को हुए इस आतंकी हमले में 7 लोकल ट्रेनों में सीरियल धमाके हुए थे, जिसमें 189 लोगों की जान गई और 800 से अधिक घायल हुए।
74 वर्षीय प्रभाकर मिश्रा, जो इस हमले में घायल हुए थे, कहते हैं, “धमाके ने जितना दर्द दिया, उतना ही अब कोर्ट के फैसले ने दिया है।” धमाके के वक्त वे विरार जाने वाली लोकल ट्रेन के फर्स्ट क्लास कोच में थे, तभी विस्फोट हुआ। वे बताते हैं, “कान के पर्दे फट गए, हाथ जल गया, आंखों के पास जख्म आए। 19 साल बाद भी शरीर और दिल दोनों पर उसके निशान बाकी हैं।”
प्रभाकर सवाल उठाते हैं कि अगर कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया, तो असली दोषी कौन हैं? “क्या पुलिस ने गलत लोगों को पकड़ा या असली गुनहगारों को भागने दिया?” वे कहते हैं, “हमें इंसाफ नहीं मिला, ये सिस्टम की नाकामी है।”
वहीं दूसरी तरफ, 19 साल जेल में बिताने वाले आरोपियों और उनके परिवारों ने राहत की सांस ली है। बरी किए गए लोगों का कहना है कि उन पर लगा आतंकी का दाग अब मिट गया।
महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 22 जुलाई को याचिका दायर की गई।
यह मामला अब केवल कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि 189 परिवारों की उम्मीद, सवाल और सिस्टम की साख से भी जुड़ चुका है।