प्रशासनिक उपेक्षा के चलते मजाक बन गया है केंद्रीय बस स्टेंड....

प्रशासनिक उपेक्षा के चलते मजाक बन गया है केंद्रीय बस स्टेंड....


सुजानगढ़ (नि.सं.)। शहर की सालासर रोड़ पर स्थित केंद्रीय बस स्टेंड इन दिनों वीरान पड़ा अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। शासन-प्रशासन के लोगों ने मानो इस बस स्टेंड को एक मजाक समझ रखा है, जब चाहे शुरू करो और जब चाहे बंद। और तो और पंचायत समिति में हर माह होने वाली जन सुनवाई में यह मुद्दा उठाते हुए कुछ लोगों द्वारा ज्ञापन सौंपकर इस बस स्टेंड को सुचारू रूप से संचालित करने की मांग की जाती है। हर बार एडीएम भागीरथ साख द्वारा डीटीओ, पुलिस प्रशासन, नगरपरिषद और उपखंड अधिकारी को निर्देश दिये जाते हैं कि हर हाल में सभी बसों का संचालन नए बस स्टेंड से करने की व्यवस्था करो। लेकिन दो तीन दिन सब कुछ ठीक चलता है और फिर वहीं पर कहानी आकर रूकती है। ढ़ाक के तीन पात जैसा परिणाम निकलकर कुछ ही दिन में बस स्टेंड वीरान हो जाता है। 
 एडीएम के निर्देशों को न तो अन्य विभागों के अधिकारी गंभीरता से ले रहे हैं और न ही पुलिस और डीटीओ के लोग। आज की तारीख में हालात ये हैं कि 2008 में तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे द्वारा उद्घाटित यह बस स्टेंड अपनी वीरानी पर आंसू बहा रहा है। हर बार केंद्रीय बस स्टैंड को चालू करने के नाम पर रंग रोशन का खर्चा किया जाता है, सो अलग। दूसरी ओर जमीन प्रदान करने वाले भामाशाह अब हाईकोर्ट की ओर मुंह करते नजर आ रहे हैं, ताकि जिस प्रयोजन से जमीन ली गई, उसका या तो उपयोग सुनिश्चित हो सके या फिर जमीन वापस ली जा सके। 

इनका कहना है - 
 बेशकीमती जमीन पर बस स्टेंड बने 15 साल हो चुके हैं, लेकिन नियमित संचालन सुनिश्चित नहीं हो पाया। ऐसे में आखरी बार विधायक से मिलकर मांग करूंगा। उसके बाद भी अगर कुछ नहीं होता है, तो सम्बंधित जिम्मेदार लोगों को विधिक नोटिस देकर जमीन वापस लेने की कार्यवाही को आगे बढ़ाउंगा। विद्याधर पारीक, बस स्टेंड के लिए जमीन प्रदान करने वाले भामाशाह।