संगीतमय श्रीराम कथा के समापन पर भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
-संत शंभू शरण लाटा ने कहा कि अलवरवासी बहुत अध्यात्मिक और राममय
अलवर। प्रताप आडिटोरियम में चल रही नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा का समापन गुरुवार को हुआ तो पूरा पांडाल पूरी तरह भाव-विभोर हो गया। यहां हजारों श्रद्धालुओं के आंखें भर आई। संत शंभू शरण लाटा को अलवर के श्रद्धालुओं ने वायदा किया कि वे सांसों के साथ भगवान श्रीराम का नाम लेंगे।
संत लाटा ने कथा के अंतिम दिन भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक की कथा सुनाई जिससे पहले हनुमान जी का लंका को जलाना, अंगद की ओर से रावण को संदेश देना सहित पूर्व की सारी कथा संक्षिप्त में संगीत के माध्यम से सुनाई। कथा संयोजक मंजू चौधरी अग्रवाल के अनुसार तीन दिन से यहां श्रद्धालुओं के बढ़ते स्नेह के कारण बॉलकानी तक खोली गई।
शांति का संबंध साधन से नहीं साधना से - संत शंभू शरण लाटा ने कहा है कि मनुष्य के जीवन में शांति साधन से नहीं साधना से ही आ सकती है। जब भी हम कोई कार्य करने घर से निकले तो हर्षित मन से तैयार हो और भगवान श्रीराम का नाम लें। यह सोचे कि यह मैं नहीं कर रहा हूं, यह तो भगवान करवा रहे हैं। मैं तो माध्यम हूं जिससे ऊर्जा का संचार होगा। यदि आपकी कीर्ति बढ़ रही है तो भजन पर ध्यान दें। मुर्ख आदमी से कभी भी विनय नहीं करें। प्रभु के नाम से पत्थर भी सागर पर तैरने लगे, इसी प्रकार भजन से इंसान भव- सागर को पार पा सकता है।
कथा के प्रचार प्रभारी सौरभ कालरा ने इस कथा के सफल आयोजन के लिए सभी अलवर वासियों को बधाई और धन्यवाद दिया। अलवर वासियों की ओर से संत शंभू शरण लाटा को अलवर में बार-बार श्रीराम कथा करने का अनुरोध किया। इस कथा में प्रसंग के अनुसार स्क्रीन पर उसी के अनुसार फोटो तक दिखाए गए। यहां पहली बार रामकथा में पूरी सीट भर गई और लोग सीढियों में बैठ गए।