प्रशासन के लिए रेलवे फाटक पर दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ बना जी का जंजाल
खैरथल। शहर के बीचो बीच स्थित रेलवे फाटक पर भवन निर्माण का कार्य करने वाले दिहाड़ी मजदूरों की हर दिन लगने वाली भीड़ प्रशासन के लिए जी का जंजाल बन गया है।
नगरपालिका प्रशासन द्वारा इस समस्या से निजात दिलाने के लिए अब तक किए गए सभी उपाय बेनतीजा साबित होने से समस्या और अधिक गहरा गई है।
रेलवे फाटक पर पिछले कई दशकों से भवन निर्माण में मजदूरी मिलने की उम्मीद में सैकड़ों गांवों से बहुत बड़ी संख्या में मजदूर एकत्रित होते रहे हैं, संख्या बहुत अधिक होने से ये रेलवे ट्रैक पर भी झुंड के रूप में पटरियों के ऊपर बैठ जाते हैं जिससे रेलवे प्रशासन भी परेशान हैं। जबकि फाटक के पास के दुकानदार भी मजदूरों के आगे घेरा बना कर खड़े होने से परेशान हैं।
दुकानदारों द्वारा इनको दुकान के आगे से हटाने पर आए दिन आपस में उलझने की घटनाएं आम हो गई है।
पूर्व में बड़ी संख्या में शिकायत मिलने पर उपखंड अधिकारी द्वारा नगरपालिका व पुलिस थाने को यहां खड़े रहने वाले मजदूरों को हटा कर अन्यत्र व्यवस्था करने के लिए निर्देश दिए गए,जिस पर नगरपालिका प्रशासन की ओर से मजदूरों की बैठक कर समझाइश के बाद उनके बैठने के लिए थोड़ी दूर शनिदेव मंदिर के पास एक टीनशैड का निर्माण करवाया और वहां पीने के पानी की व्यवस्था करवाई गई परंतु कुछ दिन वहां बैठने के बाद फिर वही ढाक के तीन पात वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए मजदूरों ने फाटक पर ही भीड़ की शक्ल में खड़े रहना शुरू कर दिया।
इस संबंध में मजदूरों का कहना है कि हम टीनशैड में बैठे रहे और यहां फाटक पर खड़े मजदूरों को रोजगार मिल गया ऐसे में उन्होंने भी टीनशैड में बैठना बन्द कर दिया।
दुकानदारों का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि जैसे ही कोई मजदूरों को लेने के लिए कोई भवन निर्माण कर्ता आता है ये लोग बिना आगे पीछे देखे दौड़ पड़ते हैं जिससे हर समय दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है वहीं दुकानों के खड़े हो जाने से उनके धंधे पर बुरा असर पड़ता है।
संयुक्त व्यापार महासंघ के महासचिव नामदेव रामानी सहित विभिन्न व्यापारिक एवं नागरिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है मजदूरों को निर्धारित स्थान टीनशैड में बैठना सुनिश्चित कर यातायात व्यवस्था को निर्बाध गति से चलने दें और दुकानों के आगे व रेलवे ट्रैक पर बैठने से होने वाली परेशानी से निजात दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।