विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन
सीकर। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मीडिया संस्थानों और पत्रकारों के वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर विचार विमर्श किया गया। संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार बालमुकुंद जोशी ने कहा कि आज पत्रकारिता का क्षेत्र टेक्नोलॉजी के साथ बहुत तेजी से बदल रहा है इसलिए मीडिया संस्थानों और पत्रकारों का बदलती तकनीकी के साथ-साथ चलना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा की देश की आजादी से पहले पत्रकारिता को मिशन के रूप में देखा जाता था, मीडिया संस्थान और पत्रकार संसाधनों के अभावों में पत्रकारिता की जोत जलाए रखते थे लेकिन आज इंटरनेट के इस दौर में सोशल मीडिया का रोल बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने सभी पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि वे ईमानदारी से काम करते हुए इस क्षेत्र में अलग मुकाम हासिल करे। उन्होंने कहा की आज के तकनीकी युग में चीजे आसान हुई है लेकिन पत्रकारिता के स्तर में गिरावट आई है जो की इस क्षेत्र के लिए एक चुनौती है। सहायक निदेशक जनसंपर्क पूरणमल ने कहा की पत्रकारिता तथ्यात्मकता से पूर्ण होनी चाहिए तथा किसी भी खबर को सारे पहलू जांच कर लिखी जानी चाहिए। इस दौरान सहायक जनसंपर्क अधिकारी राकेश कुमार ढाका ने आज के दिन के महत्व को बताते हुए कहा की 90 के दशक में अफ्रीका के पत्रकारों ने प्रेस की आजादी के लिए सबसे पहले अपनी आवाज बुलंद की थी। 3 मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों को लेकर एक बयान जारी किया गया था, इसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक के नाम से जाना जाता है. इसके ठीक दो साल बाद 1993 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की. तब से आज तक 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दौरान पत्रकार आनंद सिंह कछावा, अब्दुल रजाक पंवार, जगदेव सिंह, रफीक चौधरी, इकबाल खान, लक्ष्मीकांत जोशी, एम सादिक सिदिकी, जावेद चौहान, रफीक बहलिम, साधना सेठ्ठी, लोकेश सैन, सुरेंद्र माथुर,ज्ञानसिंह रामपुरा,अल्ताफ हुसैन, आरजे संदीप माथुर अनूप सैनी, ने भी बदलते दौर की पत्रकारिता और मीडियाकर्मियों को इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों पर अपने विचार रखें।