सरकारी स्कूलों में केयरटेकर की सुविधा, दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए राह होगी आसान

सरकारी स्कूलों में केयरटेकर की सुविधा, दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए राह होगी आसान

जयपुर टाइम्स

**जयपुर, 1 अगस्त** - समावेशी शिक्षा के तहत राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में केयरटेकर की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। इस साल के बजट में घोषणा की गई थी कि 10 दिव्यांग विद्यार्थियों के नामांकन वाले विद्यालयों को केयरटेकर की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। इस पहल से दिव्यांग विद्यार्थियों को पढ़ाई में मदद मिलेगी।

केयरटेकर एक गैर-शैक्षणिक पद होता है, जिसका मुख्य कार्य दिव्यांग विद्यार्थियों की देखभाल और मदद करना है। शिक्षण की जिम्मेदारी सामान्य और विशेष शिक्षकों द्वारा निभाई जाएगी।

वर्तमान में 7 स्कूलों में शिक्षा:

प्रदेश में 7 राजकीय विशेष विद्यालय संचालित हैं, जिनमें हजारों दिव्यांग विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इनमें राजधानी स्थित दक्षिण एशिया के मूकबधिर विद्यालय सहित अजमेर, उदयपुर, बांसवाड़ा, बीकानेर और जोधपुर के स्कूल शामिल हैं।

**नए विशेष विद्यालय प्रस्तावित:**

राज्य सरकार ने दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए जोधपुर, अजमेर, चुरू, भरतपुर, कोटा और पाली संभाग में 6 आवासीय दिव्यांगजन विद्यालय खोलने का प्रस्ताव रखा है। इन विद्यालयों का उद्देश्य परंपरागत शिक्षण व्यवस्था में विशेष विद्यालयों का महत्व बनाए रखना है।

विशेष शिक्षा के पद:

राज्य में विशेष शिक्षा के विभिन्न पदों के लिए स्वीकृत और रिक्त पदों का गणित इस प्रकार है:
- L1 विशेष शिक्षा: 3584 (स्वीकृत), 0 (रिक्त)
- L2 विशेष शिक्षा: 1493 (स्वीकृत), 12 (रिक्त)
- वरिष्ठ अध्यापक: 1058 (स्वीकृत), 856 (रिक्त)
- व्याख्याता विशेष शिक्षा: प्रक्रियाधीन

विशेषज्ञों की राय:

राजस्थान विशेष शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष पवन कुमार शर्मा का मानना है कि राज्य सरकार सामान्य और दिव्यांग दोनों श्रेणी के विद्यार्थियों की शिक्षा को लेकर बेहद गंभीर है। प्राध्यापक (विशेष शिक्षा) का नया पद सृजन और केयरटेकर की व्यवस्था से सरकारी स्कूलों में दिव्यांग विद्यार्थियों के नामांकन में बढ़ोतरी होगी।

जिला दिव्यांगता प्रकोष्ठ के समन्वयक भूपेश शर्मा ने कहा कि 11वीं-12वीं के विद्यार्थियों के लिए विषय विशेष आवश्यकताओं जैसे ब्रेल, साइन लैंग्वेज, ऑडियो किताबें, टीचिंग ऐड आदि की पूर्ति हेतु प्राध्यापक की आवश्यकता है। केयरटेकर की व्यवस्था से इन बच्चों की सामान्य स्कूलों में पढ़ाई और आसान होगी।