सीपीआर द्वारा पाई मौत पर जीत की खुशी - डॉ. एस सी मित्तल एवं गिरीश गुप्ता की सजगता आई काम

सीपीआर द्वारा पाई मौत पर जीत की खुशी - डॉ. एस सी मित्तल एवं गिरीश गुप्ता की सजगता आई काम

अलवर। सीपीआर की फुल फॉर्म कार्डियोपलमोनरी रिसेसिटेशन होती है। यह इमरजेंसी मेडिकल टेक्निक है, जिसके जरिए किसी भी व्यक्ति की सांस बन्द होने या दिल की धड़कन रुक जाने पर उसकी जान बचाई जा सकती है।
ऐसी ही एक घटना हाल में 01 जून 2023 को अलवर के मित्तल हॉस्पिटल में देखने को मिली, जहां मात्र डेढ़ साल के एक नवजात शिशु सिद्धार्थ को सीपीआर देकर मौत के मुँह से बचाया और दूसरी जिंदगी प्रदान की। नवजात शिशु की जान बचाने मे जहां मित्तल हॉस्पिटल के निदेशक एवं सीनियर फिजिशियन डॉ एस सी मित्तल एवं मित्तल हॉस्पिटल के प्रशासक गिरीश गुप्ता योगदान एवं उनकी सजगता का परिणाम रहा।
इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी अलवर ब्रांच के चेयरमैन एवं मित्तल हॉस्पिटल के निदेशक एवं सीनियर फिजिशियन डॉ एस. सी. मित्तल ने बताया की 01 जून को प्रातः तकरीबन 10:40 पर एक महिला नंगे पैर घबराई हुई रोती चीखती चिल्लाती हुई एक नवजात शिशु को अपनी गोद में लेकर उनके चेंबर में घुसी और उसने बताया कि उनका डेढ़ साल का पोता पानी से भरी बाल्टी में उल्टा डूबा हुआ मिला। वो एन ई बी से मोटरसाइकिल पर जा रहे एक व्यक्ति की सहायता लेकर मित्तल हॉस्पिटल पहुँची। जहां हालत नाजुक देखते हुए डॉ. मित्तल ने तुरन्त बच्चे को एग्जामिनेशन टेबल पर लिटा कर चेक किया, उस वक्त बच्चे के पल्स एवं हार्टबीट बिल्कुल नहीं थी। 
डॉ. मित्तल ने बताया कि उनके चैम्बर में उस वक्त मित्तल हॉस्पिटल के प्रशासक एवं सेंट जॉन्स एंबुलेंस इंडिया अलवर ब्रांच के चेयरमैन गिरीश गुप्ता भी उपस्थित थे। डॉ मित्तल के इशारे पर तुरंत डॉ मित्तल के साथ गिरीश गुप्ता ने सीपीआर बच्चे को देना प्रारंभ किया। डॉ. मित्तल ने दो उंगलियों से बच्चे की छाती पर तथा गिरीश गुप्ता ने मुंह से मुंह द्वारा कृत्रिम श्वसन देना प्रारंभ किया। जहां 35 से 40 सेकंड बाद बच्चे में हल्की सी हरकत नजर आई, फिर क्या था एक रोशनी की किरण को नजर आते देख मुंह से मुंह द्वारा तथा उँगलियों से चेस्ट पर पम्पिंग करते करते बच्चे को ट्रॉली पर लिटा कर आईसीयू तक यह प्रक्रिया रास्ते भर लिफ्ट में तथा बेड पर शिफ्ट करने तक लगातार चलती रही, जब तक कि बच्चे को वेंटिलेटर पर नहीं कर दिया गया। आईसीयू में जाते वक्त बच्चे ने हल्की सी आंखें खोल कर रोने की कोशिश की परंतु वह रो नहीं पा रहा था। थोड़े बहुत हाथ पैर हिलाने शुरू कर दिए थे। वेंटिलेटर पर बच्चे को शिफ्ट करने के बाद लगातार पूरा ध्यान रखा जा रहा था। डॉ के मुताबिक बच्चा खतरे से तकरीबन बाहर था, परंतु सावधानी बतौर बच्चे को अगले दिन  सुबह तक वेंटिलेटर पर रखा गया। उसके बाद में कुछ वक्त के लिए वेंटिलेटर हटाकर उसके पैरामीटर देखे और दोपहर को वेंटिलेटर हटा दिया गया और 4 जून को प्रातः ही बच्चे की छुट्टी कर दी गयी। 
डॉ. मित्तल ने बताया कि अब बच्चा अपने परिजनों के साथ बिल्कुल स्वस्थ जीवन जी रहा है। डॉ मित्तल के अनुसार यह सब बिना वक़्त गवाये सीपीआर द्वारा मौत पर जीत का परिणाम है। यह बच्चा इसका जीता जागता उदाहरण है। अतः किसी भी परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति को यदि बेहोश पाया जाए या ऐसा व्यक्ति जिसकी पल्स बन्द हो हृदय गति रुक गई हो, उस परिस्थिति में वहाँ उपस्थित व्यक्ति को यदि सीपीआर करना आता है तो जरूर करके देखना चाहिए, हो सकता है उस व्यक्ति की जान बचाई जा सके। 
इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी अलवर ब्रांच द्वारा लगातार फर्स्ट ऐड ट्रेनिंग के अंतर्गत सीपीआर की ट्रेनिंग भी दी जाती है। यह ट्रेनिंग हर व्यक्ति को आनी चाहिए ताकि अपनो की जान वक़्त रहते बचाई जा सके।