औद्योगिक क्षेत्र की योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुँचे - उद्योग मंत्री
उद्योग मंत्री ने ली विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक
जयपुर। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री शकुंतला रावत की अध्यक्षता में उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में विभाग के आयुक्त महेन्द्र पारख सहित प्रदेशभर से विभिन्न जिला उद्योग एवं वाणिज्य केन्द्रों के महाप्रबंधक शामिल हुए।
रावत ने आला अधिकारियों से गत वित्तीय वर्षों की विभिन्न योजनाओं के
संबंध में जानकारी लेने के साथ ही योजनाओं की प्रोग्रेस रिपोर्ट भी ली। कोरोना काल के बाद हमेशा वी.सी. के जरिये मिटिंग से जुडते थे। राजस्थान के जिला उधोग अधिकारी
सभी उधोग भवन मे उपस्थित होकर अपने-अपने क्षेत्र की प्रोग्रेस रिपोर्ट बताई। साथ ही सभी को निर्देशित किया गया कि योजनाओं के लाभ त्वरित रूप से अंतिम पंक्ति में खड़े
व्यक्ति तक पहुँचने चाहिए साथ ही किसी भी योजना के अंतर्गत आमजन का आवेदन लंबित नहीं रहना चाहिए।
रावत ने कहा कि राजस्थान के यशस्वी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पूरे 05 वर्ष में युवा, महिला, एस.सी., एस.टी हर वर्ग को ध्यान में रखकर योजना बनाई गई। विभाग द्वारा प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए विभाग द्वारा अनेक नीतियों एवं कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। राजस्थान के संतुलित क्षेत्रीय औद्योगिक विकास के साथ ही निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री द्वारा औद्योगिक विकास नीति 2019 लागू की गई। साथ ही रिप्स - 2022 एमएलयूपीवाई, एमएसएमई एक्ट 2019, मुख्यमंत्री लघु वाणिज्यिक वाहन योजना - 2022, डॉ. भीमराव अम्बेडकर राजस्थान दलित आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना - 2022, राजस्थान हस्तशिल्प नीति-2022, राजस्थान एमएसएमई नीति-2022 जैसे कार्यक्रम एवं नीतियां संचालित की गई है। इसके साथ ही राजस्थान से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मिशन निर्यातक बनो कार्यक्रम का क्रियान्वयन भी हमारी सरकार द्वारा किया जा रहा है। एमएलयूपीवाई के अंतर्गत अब तक हजारों लाभार्थीयों को हजारों करोड़ रुपये का ऋण वितरण किया गया है एवं हजारों करोड़ रुपये का ब्याज अनुदान प्रदान किया गया। इसी प्रकार मुख्यमंत्री ने होटल्स को इन्डस्ट्री का दर्जा देकर पर्यटन एवं ट्यूरिज्म को बढावा मिला है। राज-काज पर ई-फाइलिंग की ट्रेनिंग भी दी गई। लघु वाणिज्यिक वाहन योजना-2022 के अंतर्गत अब तक हजारों लाभार्थियों ने लाभ लिया है। भूमी रूपान्तरण नियमों का सरलीकरण करते हुए 10 हैक्टेयर तक भूमि पर फूड प्रोसेसिंग उद्योगों को तथा श्वेत एवं ग्रीन केटेगरी के उद्योगों को भूमि रूपातंरण की अनिवार्यता को समाप्त किया गया है। इस प्रकार इन योजनाओं के माध्यम से सरकार समाज के हर तबके तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाकर संवृद्धि एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध करवा रहीं है।