कांग्रेस की नीतियों और नेतृत्व पर डॉ. सतीश पूनिया का प्रहार

कांग्रेस की नीतियों और नेतृत्व पर डॉ. सतीश पूनिया का प्रहार

जयपुर। हरियाणा भाजपा प्रभारी और राजस्थान भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने कांग्रेस पार्टी की नीतियों, व्यवहार और नेतृत्व पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब जनता द्वारा नकार दी गई है और उसके पास सशक्त नेतृत्व का अभाव है। पूनिया ने यह भी कहा कि कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है, और यदि वह राजनीतिक नक्शे से गायब हो जाए, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा।

कांग्रेस में नेतृत्व का अभाव

विधानसभा में कांग्रेस के विरोध के कारण उत्पन्न गतिरोध पर बोलते हुए, पूनिया ने कहा कि विपक्ष का कर्तव्य है कि वह तार्किक आधार पर अपनी लड़ाई लड़े। उन्होंने कांग्रेस में नेतृत्व की कमी और मुद्दों के अभाव की ओर संकेत किया, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हो रही है। पूनिया ने कांग्रेस नेताओं को विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षण लेने की सलाह दी।

'दादी' शब्द पर विवाद

मंत्री अविनाश गहलोत द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 'दादी' कहकर संबोधित करने पर हुए विवाद पर, पूनिया ने कहा कि यह शब्द असंसदीय नहीं है। हालांकि, इसके उपयोग के तरीके और परिस्थिति पर आपत्ति हो सकती है। उन्होंने स्पीकर के प्रयासों की सराहना की और कहा कि कांग्रेस को इस गतिरोध को समाप्त कर प्रदेश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए।

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस की आलोचना

पूनिया ने कहा कि कांग्रेस का सत्ता से बाहर होने का मुख्य कारण भ्रष्टाचार रहा है। केंद्र में बड़े भ्रष्टाचार के मामलों के कारण जनता ने कांग्रेस को नकार दिया। राजस्थान में भी सड़कों, खनन और पोषाहार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ, जिससे सत्ता परिवर्तन हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में कांग्रेस नेता भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं, लेकिन ठोस प्रमाण के अभाव में ये आरोप केवल आरोप ही रह जाते हैं।

भाजपा में अवसरों की समानता

पार्टी में अवसरों की समानता पर जोर देते हुए, पूनिया ने कहा कि भाजपा ने हमेशा सामान्य कार्यकर्ताओं को उच्च पदों पर आसीन किया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में पहली बार विधायक बने नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया गया। पार्टी सबको अवसर देती है, चाहे वह मंत्री हो, मुख्यमंत्री हो या मेयर।

आमेर से चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय

आमेर से चुनाव नहीं लड़ने के अपने निर्णय पर, पूनिया ने स्पष्ट किया कि पिछले 10 वर्षों से आमेर से उनका परिवार जैसा संबंध रहा है। हालांकि, आगामी चुनावों में उन्होंने वहां से चुनावी राजनीति से दूर रहने का फैसला किया है।

जाति आधारित राजनीति पर विचार

राजस्थान में राजनीतिक बदलाव और हरियाणा-दिल्ली में जाट समाज के नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के सवाल पर, पूनिया ने कहा कि कुर्सियां जाति के आधार पर तय नहीं होतीं। पार्टी अपने सिद्धांतों और योग्यता के आधार पर निर्णय लेती है। उन्होंने कहा कि पार्टी का संसदीय बोर्ड सक्षम है और मान-सम्मान पार्टी के कारण ही मिलता है।

डॉ. सतीश पूनिया का यह बयान कांग्रेस की वर्तमान स्थिति और भाजपा की नीतियों पर प्रकाश डालता है, जो आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।