उपचुनाव में कांग्रेस की करारी हार, परिवारवाद और गुटबाजी पर उठे सवाल 

उपचुनाव में कांग्रेस की करारी हार, परिवारवाद और गुटबाजी पर उठे सवाल 

जयपुर।
राजस्थान के सात विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी केवल एक सीट पर जीत हासिल कर सकी, जबकि चार सीटों पर कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही। इस हार ने कांग्रेस के संगठन और रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी के भीतर हार के कारणों पर मंथन शुरू हो गया है, और इसके लिए रिपोर्ट तैयार कर आलाकमान को भेजने की तैयारी की जा रही है।  

परिवारवाद और सांसदों की सिफारिश बनी हार की वजह  
जानकारों का मानना है कि टिकट वितरण में सांसदों की सिफारिश और परिवारवाद को प्राथमिकता दी गई, जिससे स्थानीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई। झुंझुनू से सांसद बृजेन्द्र ओला के बेटे अमित ओला और देवली-उनियारा में सांसद हरीश मीणा की सिफारिश पर केसी मीणा को टिकट देना विवादास्पद रहा। रामगढ़ सीट पर सहानुभूति कार्ड खेलते हुए दिवंगत ज़ुबैर खान के बेटे आर्यन खान को टिकट दिया गया।  

स्थानीय नेतृत्व की अनदेखी  

कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने टिकट वितरण में सांसदों पर निर्भरता का सुझाव दिया, जिससे स्थानीय नेतृत्व और कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई। सचिन पायलट द्वारा फीडबैक की अनदेखी और गुटबाजी ने पार्टी की स्थिति और कमजोर कर दी। खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल को हराने की रणनीति के तहत सवाई सिंह की पत्नी डॉ. रतन को टिकट देना कांग्रेस के लिए उल्टा साबित हुआ।  

भविष्य की चुनौतियां  
इस हार ने पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा फैला दी है। पार्टी के सामने आगामी निकाय और पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की चुनौती है। कांग्रेस को अब फुल-टाइम प्रभारी और निष्क्रिय नेताओं से पीछा छुड़ाने की जरूरत है। हार के इस दौर ने राजस्थान कांग्रेस को अपनी रणनीति और संगठनात्मक ढांचे पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है।