राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए चूरू एकता मंच ने दिया प्रभारी मंत्री ओला को ज्ञापन

चूरू। मंच के जिला अध्यक्ष विनोद राठी ने बताया कि चूरू एकता मंच और झुंझुनू क्लासेज चूरू के संयुक्त तत्वाधान में प्रभारी मंत्री को ज्ञापन देते हुए बताया की राजस्थानी भाषा आजादी से पहले मालवा और उमरकोट की प्रमुख राजभाषा थी। जिसकी मेवाड़ी, ढूंढाडी, मेवाती, हाडोती बागड़ी और डिंगल -पिंगल शास्त्री कविता की शैलियां है। इसके लाखों हस्तलिखित ग्रंथ शोध संस्थाओं में प्रकाशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। सिंधी, हिंदी, पंजाबी, गुजराती, मराठी की आदिकालीन और मध्यकालीन लिपि भी मुड़िया में ही है। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों तथा यूजीसी में शिक्षण और शोध की मुख्य भाषा राजस्थानी है। आकाशवाणी, दूरदर्शन, पत्र-पत्रिकाओं, टीवी चैनल में प्रसारण राजस्थानी भाषा में हो रहा है। नाटक व फिल्मों में अभिनय और रंगकर्म का श्रेष्ठ माध्यम राजस्थानी भाषा साबित हो रही है। अमेरिका की लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस ने राजस्थानी को विरासत की समृद्धतम 13 भाषाओं में से एक मानते हुए पदम कन्हैयालाल सेठिया की 75 मिनट की रिकॉर्डिंग कर संग्रह में रखी हुई है। शिकागो, मास्को, बर्लिन, कैंब्रिज व विश्वविद्यालयों में राजस्थानी भाषा एक प्रमुख विषय के रूप में है। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर और भारत सरकार के साहित्य अकादमी व अन्य देश दुनिया के साहित्यिक मंचों से राजस्थानी सृजनधर्मियो ने राजस्थानी को प्रतिस्थापित किया है। राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ने के लिए राजस्थान विधानसभा ने 25 अगस्त 2003 को सर्वसम्मति से संकल्प प्रस्ताव पास करके केंद्र सरकार के पास भेजा जो अभी तक लंबित है। झुंझुनू क्लासेज के निर्देशक रूप सिंह ने बताया कि वर्तमान राज्य सरकार भी राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए बहुत कुछ कर सकती है। अनिवार्य शिक्षा कानून की पालना में राज्य के प्राथमिक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा राजस्थानी हो। विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में राजस्थानी शिक्षकों के खाली पद भरे जाएं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष की यथाशीघ्र नियुक्ति की जाए। राजस्थानी फिल्मों को मनोरंजन से कर मुक्त किया जाए। राजस्थानी फिल्मों हेतु अनुदान दिया जाए। राजस्थानी फिल्म शूटिंग लोकेशन फ्री की जाए।राजस्थानी फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का गठन किया जाए। सरकारी विभागों के विज्ञापन राजस्थानी भाषा में हो और प्रदेश में योजनाओं या संस्थाओं आदि के नाम होने में राजस्थानी भाषा से जुड़े हुए महापुरुषों के नाम पर उनका नामकरण किया जाए। ज्ञापन देने वालों में दिनेश लाटा, श्रवण सैनी, सुरेंद्र पीपलवा, रामचंद्र सैनी, ममता चौधरी, कविता, संतोष, कौशल्या, प्रवीणा, पूनम, कविता ढाका, मोनिका, पिंकी, बबीता, पूजा, खुशबू, शकुंतला, आरती, डिंपल, गुलशन, अनुसुइया, कविता स्वामी, राकेश शर्मा, विकास सहारण, रमेश, दौलत पुरोहित, मनोहर प्रजापत, सोनाराम, महेंद्र, शुभम सैनी  राजेश, संदीप, प्रदीप जांगिड़, गंगाधर सैनी, अनिल आसलु, मुकेश सेन, अंकित सेन, लखेंद्रसिंह राठौड़, सुरेंद्रसिंह राठौड़, वीरेंद्र सैनी, दिनेश  प्रजापत, हरीश जांगिड़, नरेश शर्मा, दिनेश जोशी आदि उपस्थित थे।