सत्य की संगत को ही सत्संग कहा जाता है : श्याम बाबा
खैरथल। सत्संग कहते सत्य की संगत को, जिसने अपनी संगत को सुधार लिया वही भक्ति के मार्ग को अपना पाता है। रामायण में भी संगति की महत्ता पर तुलसीदास कहते हैं कि - सठ सुधरी सुसंगत पावै, यानि सुसंगत करने पर मूर्ख से मूर्ख लोग भी सुधर जाते हैं। जिस प्रकार चन्दन का संग करने से पलास के पेड़ में भी खुशबू आनी शुरू हो जाती है, लोहा पारस के संग में आने से सोना बन जाता है और गंदा नाला गंगा की संगति पाकर गंगा बन जाता है। वैसे ही संतों का संग करने वाला पापी भी संत बन जाता है।जिस प्रकार लोहे में खोट होने पर लोहा सोना नहीं बन पाता वैसे ही हमारे अंदर विषयों के खोट हमें संतों की संगति में भी अच्छा इंसान नहीं बनने देती। यह सत्संग विचार बाबा आया राम दरबार सरदार नगर अहमदाबाद के गद्दीनशीन संत जीवण राम उर्फ श्याम बाबा ने अलवर जिले के खैरथल कस्बे के वार्ड नंबर 16 स्थित आनन्द पार्क में फरमाएं। श्याम बाबा ने कहा कि जैसा संतों का विचार है वैसा ही आपको बना देंगे। उन्होंने कहा कि जिनके ऊंचे भाग होते हैं उनको सत्गुरु सत्संग और सतनाम मिलता है लेकिन ये माया इस जीव को इन तीन चीजों से दूर रखती है। बिना रस्सी और बंधनों के जीव को माया बांधे रखती है।ये बंधन ही गफलत पैदा करते हैं। सत्संग प्रवचन के बाद में श्याम बाबा के मीडिया प्रभारी हीरा लाल भूरानी एवं प्रमोद केवलानी ने उपस्थित प्रेमियों को बाबा की ओर से प्रसाद वितरित किया।