आखिर कब सार्थक होगी ये समीक्षात्मक बैठक:
अलवर। जिला प्रशासन की समीक्षात्मक बैठक हो या किसी विभागीय बैठक सब में एक खानापूर्ति होकर ये बैठक सम्पन हो जाती हैें। ये नहीं कि बैठक में सख्ती का रुख भी मौजूदा अधिकारियों व कर्मचारियों को दिखाया जाता है कि यह काम नहीं होने पर अधिकारियों व कर्मचारियों की खैर नहीं, लेकिन ये सख्ती सिर्फ होकर सिर्फ कागज तक सीमित रह जाती है। ऐसा ही एक वाकया हर दिन शहर में दिखाई देता है जो है आवारा, दुधारू पशुओं के जमावड़े का। इस संबंध मेंं जहां नगर परिषद व प्रशासन की जब भी समीक्षात्मक बैठक होती है तो यह आमजन की परेशानी पर जिला कलक्टर व नगर परिषद आयुक्त अपनी सख्ती दिखाते हैं लेकिन ये सख्ती सुबह समाचार पत्रों तक में पढऩे को मिलती है ओर बाद में समस्या तो जस की तस बनी रहती है। समस्या समाप्त होने की जगह प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जहां शहर के मुख्य बाजारों में इन आवारा, दुधारू पशुओं का ऐसे जमावड़ा रहता है कि ये रास्ते आमजन के नहीं वरन ये मुख्य सड़क सिर्फ आवारा, दुधारू पशुओं के लिए ही बनी हो। ऐसे में शहर की सड़कों को देखा जाए तो राहगीर हो या वाहन चालक कैसे निकलें। ये समस्या शहर के उन मुख्य बाजारों के बीच की नहीं है, इससे तो कलक्ट्रेट परिसर भी अछुता नहीं है। अब बात करें कि आखिर ये पशु जाएं तो जाएं कहां लेकिन प्रशासन के आला अधिकारी व कर्मचारियों को सब पता रहता है कि ये समस्या किसके द्वारा की हुई है लेकिन करें तो क्या...। इस संबंध में जब शिकायत की जाती है तो एक दिन सख्ती दिखाकर नगर परिषद ओर प्रशासन इतिश्री कर लेता है ओर समस्या फिर जस की तस बनी रहती है। इस समस्या से कब निजात मिलेगी ये नगर परिषद जाने या जिला अधिकारी।