"अष्टलक्ष्मी महोत्सव: पूर्वोत्तर के विकास का उत्सव, निवेश के नए अवसर"
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली के भारत मंडपम में तीन दिवसीय *अष्टलक्ष्मी महोत्सव का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन पूर्वोत्तर की ताकत और संभावनाओं को प्रदर्शित करने का एक अनोखा अवसर है। महोत्सव में व्यापारिक समझौतों के साथ-साथ पूर्वोत्तर के उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने पर जोर दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अष्टलक्ष्मी महोत्सव पूर्वोत्तर के बेहतर भविष्य और विकास के नए युग का प्रतीक है। असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम को अष्टलक्ष्मी के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इन राज्यों में खनिज, जैव विविधता, अक्षय ऊर्जा और प्राकृतिक खेती की अद्भुत संभावनाएं हैं।
पूर्वोत्तर के विकास को प्राथमिकता:
मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों ने पूर्वोत्तर के विकास को नजरअंदाज किया, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक अलग मंत्रालय बनाया गया और बीते दशक में इस क्षेत्र में ऐतिहासिक शांति समझौतों और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया गया। सीमा विवादों को सुलझाने और अफ्स्पा को कई जिलों से हटाने जैसे कदमों ने क्षेत्र को नई दिशा दी है।
शिक्षा और बुनियादी ढांचे में सुधार:
प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर में आईआईटी गुवाहाटी, एनआईटी मेघालय और मणिपुर में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों की स्थापना को आधुनिक भारत के निर्माण में सहायक बताया। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में पूर्वोत्तर में 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है।
यह महोत्सव पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक और आर्थिक ताकत को सामने लाने का मंच है, जो भारत के विकास मिशन को गति देगा। प्रधानमंत्री ने इसे पूर्वोत्तर के लिए इमोशन, इकोनॉमी और इकोलॉजी की त्रिवेणी करार दिया।