मेले के अंतिम दिन नवमी को परंपरागत पोशाक में विराजमान हुए महंत बालकनाथ योगी
दंगल में पहलवानों ने दिखाए दांव पेच, श्रद्धालुओं की भीड़ ने पहलवानों का किया हौसला अफजाई
अलवर/रोहतक। बाबा मस्तनाथ की स्मृति में अस्थल बोहर मठ परिसर में आयोजित तीन दिवसीय मेले के अंतिम दिन लाखों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। मंगलवार अलसुबह से ही मठ परिसर में बाबा के समाधि स्थल के दर्शनों के लिए भक्तों की लंबी कतार नजर आई। मेले के अंतिम दिन करीब एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे। मेले में मुख्य अतिथि के रुप में कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र यादव ने शिरकत की। दूर-दूर से आए नेता व वीआइपी ने मत्था टेक विश्व शांति के लिए प्रार्थना की।
कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल परिवारवाद से घिरे हुए हैं। उन्होंने कुस्ती दंगल में पहलवानों का हाथ मिलवाकर कुश्ती की शुरुवात करवाई। एवम् विजेताओं के लिए लाखो के ईनाम की घोषणा की। श्रद्धालुओं ने मत्था टेकने के बाद जमकर खरीददारी की और झूलो का आनंद लिया। एक लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने लंगर में लड्डू बालूशाही, जलेबी, पूरी और आलू की सब्जी का आनंद लिया।
शाम को हुआ दंगल मेले का आकर्षण रहा।
बाबा मस्तनाथ मठ 8 वीं शताब्दी से राष्ट्र प्रेम आराधना का संदेश देता आ रहा है। इतिहास साक्षी है कि यह मात्र साधना त्रिवेणी का संगम है और विश्व शांति और समृद्धि का अपना विस्तृत इतिहास है। मठ से जुड़े संतो ने स्वतंत्रता संग्राम हो या सामाजिक सरोकार धर्म हो या स्वास्थ्य सेवा का क्षेत्र हर क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया है। स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए मठ के ब्रह्मलीन महंत योगी चांद नाथ का विशेष योगदान रहा है।
श्रद्धालुओं ने काला कंबल व प्रसाद चढ़ाकर मन्नतें मांगी
समाधि स्थल पर सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थी। श्रद्धालुओं ने काला कंबल व प्रसाद चढ़ाकर मन्नते मांगी। मंहत बालक नाथ योगी सुबह 11 बजे गद्दी पर विराजमान हुए और दोपहर दो बजे तक श्रद्धालुओं को दिव्य दर्शन दिए। शाम के समय मंहत बालक नाथ योगी छह बजे गद्दी पर विराजमान हुए और रात नौ बजे तक श्रद्धालुओं को दिव्य दर्शन में आर्शीवाद दिया।
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दंगल में पांचों कुश्ती रही बराबर
जिसमे सभी कुश्ती बराबर रही हैं। पहली कुश्ती अजय गुर्जर और मोनू कराना के बीच रही। दूसरी भोला कासनी और संजय गुर्जर तीसरी दीपक और परवेश, संदीप और भुंडू के बीच रही। जिसमें सभी कुश्ती बराबर रही हैं।
मठ में धूनी रमाए, जटाएं लटकाएं व शरीर पर राख को लगाए बैठे रहने वाले बाबा इस मेले का विशेष आकर्षण होते है। इन तपस्वी बाबाओं को देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक नागा साधुओं को देखने के लिए तांता लगा रहा और सभी ने नागा साधुओं से आर्शीवाद लिया।
आये हुए सभी गणमान्य लोगों ने बाबा जी की समाधि पर मत्था टेक आशीर्वाद प्राप्त किया।