ब्रह्मज्ञान का ठहराव ही जीवन में मुक्ति मार्ग को प्रशस्त करता है- निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा महाराज -निरंकारी सत्गुरु का नववर्ष पर मानवता को दिव्य संदेश

ब्रह्मज्ञान का ठहराव ही जीवन में मुक्ति मार्ग को प्रशस्त करता है- निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा महाराज -निरंकारी सत्गुरु का नववर्ष पर मानवता को दिव्य संदेश


अलवर। ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति से जीवन में वास्तविक भक्ति का आरम्भ होता है और उसके ठहराव से हमारा जीवन भक्तिमय एंव आनंदित बन जाता है।  ये सदविचार निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा महाराज द्वारा निरंकारी चौक बुराड़ी रोड, दिल्ली में आयोजित नववर्ष के विशेष सत्संग समारोह में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को स बोधित करते हुए व्यक्त किए गये। इस कार्यक्रम का लाभ लेने हेतु अलवर से भी काफी संख्या में भक्तगण उपस्थित हुए और सभी ने वर्ष के प्रथम दिन सदगुुरु के साकारमयी दिव्य दर्शनों एंव पावन प्रवचनों से स्वयं को आनन्दित एंव कृतार्थ किया।
सदगुरु माता जी ने ब्रह्मज्ञान का महत्व बताते हुए बताया कि ब्रह्मज्ञान का अर्थ हर पल में इसकी रोशनी में रहना है और यह अवस्था हमारे जीवन में तभी आती है जब इसका ठहराव निरंतर बना रहे तभी वास्तविक रूप में मुक्ति संभव है। इसके विपरीत यदि हम माया के प्रभाव में ही रहते है तब निश्चित रूप से आनंद की अवस्था और मुक्ति प्राप्त करना संभव नहीं। जीवन की सार्थकता तो इसी में है कि हम माया के प्रभाव से स्वयं को बचाते हुए अपने जीवन के उद्देश्य को समझे कि यह परमात्मा क्या है और हम उसे जानने हेतु प्रयासरत रहे।
मुक्ति मार्ग का उल्लेख करते हुए सद्गुरु माता ने कहा कि मुक्ति केवल उन्हीं संतों को प्राप्त होती है जिन्होंने वास्तविक रूप में ब्रह्मज्ञान की दिव्यता को समझा और उसे अपने जीवन में अपनाया। जीवन की महत्ता और मूल्यता तभी होती है जब वह वास्तविक रूप से जी जाये दिखावे के लिए नहीं। वास्तविक भक्ति तो वह है जिसमें हम सभी हर पलए हर क्षण में इस निरंकार प्रभू से जुड़े रहे। यह जानकारी संत निरंकारी मंडल अलवर के प्रेस एंड पब्लिसिटी अमृत खत्री ने दी।